नहीं होगा फिर क्लेश कोई, अदभुत होगा फिर सारा नज़ारा। नहीं होगा फिर क्लेश कोई, अदभुत होगा फिर सारा नज़ारा।
इनका अपना अस्तित्व है, इनका अपना ही वज़ूद है। इनका अपना अस्तित्व है, इनका अपना ही वज़ूद है।
हम दूर क्षितिज़, प्रेरणा बन, दूसरों को मार्ग दिखाते हैं। हम दूर क्षितिज़, प्रेरणा बन, दूसरों को मार्ग दिखाते हैं।
जी चाहता है फिर से जी लूँ उन लम्हों को... जी चाहता है फिर से जी लूँ उन लम्हों को...
तुम्हारे साथ बिताए मस्ती भरे लम्हे, कैद होंगे मेरी मुट्ठी में, खुलेगी जब मुट्ठी, तो फिर रो पड़ोगे... तुम्हारे साथ बिताए मस्ती भरे लम्हे, कैद होंगे मेरी मुट्ठी में, खुलेगी जब मुट्ठ...
अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजली प्रस्तुत करती कविता। अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजली प्रस्तुत करती कविता।